आईआईए का डीएम को ज्ञापन, माँगा राहत पैकेज

👉इंडियन इंडस्ट्रीज एसो० ने सरकार से माँगा राहत पैकेज
  👉डीएम को सौंपा ज्ञापन, रोया दुखड़ा, कहा तो फिर हम बर्बाद हो जायेंगे !
✍️फ़तेहपुर। इंडियन इंडस्ट्रीज एसो. का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मिला और एक ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि कोविड 19 से उत्पन्न इस प्रतिकूल स्तिथि से लाकडाऊन मे सबसे ज्यादा प्रभावित सूक्ष्म, लघु व मझोले प्रकार के उद्योग हुए है।
     इसमें अधिकांश उद्यमी वे लोग है जो पहले नौकरी करते थे उसके बाद कुछ पूंजी इकट्ठा करके व बैंको मे घर व फैक्टरी गिरवी रख कर लोन ले कर फैक्टरी लगा कर कार्य कर रहै है। एमएसएमई से देश मे टोटल रोजगार की सर्वाधिक 55 फ़ीसदी हिस्सेदारी है  जिसमे देश की कुल जीडीपी का भी 45 फ़ीसदी हिस्सेदारी है। चालू वित्तीय वर्ष मे निर्यात मे सरकार का लक्ष्य एमएसएमई को 29 फ़ीसदी से 50 फ़ीसदी तक ले जाने का था जो अब इस स्थिति मे असंभव है ।
   एसों० का कहना है कि वर्तमान मे यह सभी पिछले तीन साल से बिजली की अघोषित कटौती व टिपिंग, फिर नोट बंदी के बाद से लगातार उद्योगों की हालत खस्ता है। उद्यमी पिछले तीन साल से लगातार संघर्ष करके किसी तरह से फैक्ट्री चला रहे है। ऐसे मे कई लोग बैंक से भी एनपीए के बाद भी किसी तरह संघर्ष करके  उद्योग संचालन कर हे।
   उद्यमी विभिन्न माध्यम से सरकार की सामाजिक मानवीय व आवश्यक करों व निर्धारित देयताओं के आधार पर आर्थिक व सामजिक स्तर पर सहयोग करते है व अपने यहां कार्यरत कर्मचारियों के परिवार तक के भरण पोषण के लिए प्रतिबद्ध है।
बताया गया कि मार्च मे होली के बाद से ही उत्पादन ठप्प है, कोई व्यापारिक व आर्थिक लेन देन गतिविधि नही हो रही है, जो भी कुछ जमा पूजी थी। वह मार्च मे सैलरी के रूप मे दे दिया। अब उद्यमियों के खुद के समाने अपने व कर्मचारियों के परिवारों के  भरण पोषण पर आशंकाओं के बादल गहरा गये है। अप्रैल माह की  सैलरी बिजली का बिल ईएसआई, पीएफ़, जीएसटी, बैंकिंग ब्याज, हाउस लोन, कार लोन, स्कूल फ़ीस लीस रेंट, जलकर आदि अनेक प्रकार की  देयता कि भुगतान करने की  स्थिति मे नही रहे  है।
  एसों० के चेयरमैन सतेन्द्र सिंह समेत अन्य उद्यमियों का कहना था कि पूर्ण मनोयोग से अपने श्रमिकों के उत्थान के लिए प्रयासरत् रहते है।आगे लाक डाऊन के खुलने के समय हमारे पास कार्य करने के नाम पर नकदी के रूप मे कुछ नही होगा व फिक्स चार्ज के रूप मे बिजली या बिल जमा करना सबसे बडी चुनौती के साथ काम करना मुश्किल होगा। इस तरह हम काम नही कर सकेंगे और अधिकांश यूनिट बंद हो जाएगी  जब यूनिट बंद हो जाएगी तो काफी संख्या मे लोग बेरोजगार होगे व सरकार को दिये जाने वाले करो मे अधिक गिरावट होगी जिसका सीधा असर सरकार के कर संग्रह पर पड़ेगा।
  एसों० ने उद्यमियों की वास्तविक  स्थिति को सरकार तक पहुंचाने मे सहयोग माँगा और अनुरोध किया कि अप्रैल माह की सैलरी की व्यवस्था सरकार अपने माध्यम से करे। इसका भार उद्यमी पर न डाला जाए एक माध्यम ईएसआई भी हो सकता है। बिजली का  फिक्स चार्ज मार्च से लाकडाऊन अवधि तक माफ किया जाए। 6 महीने तक बैक लोन ब्याज मुक्त  किया जाए व बैंक किस्त रिसिडूयल किया जाए। जीएसटी तीन महीने तक जमा करने की छूट हो, ईडीआई व पीएफ़ आदि सरकारी देयता 6 माह के लिए स्थगित की जाए व बंदी की अवधि के लिए माफ की जाए।
     इसके अतिरिक्त बैको से शून्य औपचारिकताओं के साथ लोन दिया दिया व टर्न ओवर के आधार पर 30 फ़ीसदी राहत पैकेज दिया जाए जिससे सभी उद्योग पूरण क्षमता के साथ पुन: संचालित किये जी सके। एसों. का कहना है कि बाकी अन्य विषयो पर अनुकूल समय पर बात की जा सकती है। एसों. ने डीएम से आग्रह किया है कि वासतु स्थिति का आकलन करके समस्त स्थानीय समस्याओं को अपने माध्यम से सेतु स्वरूप उद्यमीयो व सरकार के बीच अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को  चरितार्थ करे जिससे डूबते उद्योगो को संजीवनी मिल सके और फतेहपुर की औद्योगिक पहचान बनी रहै। कहा कि आने वाले समय  एमएसएमई के लिए बेहद कठिन व चुनौतीपूर्ण होगा। लाकडाऊन के उपरांत पूर्व के अधिकांश आर्डर या तो निरस्त हो जाएंगे या संख्या मे कमी होगी अधिकांश यूनिटो मे पूर्ण निर्मित अर्ध निर्मित या कच्चा माल प्रोसेस हो चुका है, वह नुकसान  है। लाकडाऊन के उपरांत राष्टृीय व अंतर्राष्ट्रीय बाजार  वैश्विक मंदी होगी बाजार मांग अनुरूप बाजार के आर्डरो मे आर्थिक एक्सपर्ट के अनुसार 30 फ़ीसदी से 40 फ़ीसदी तक की  गिरावट संभावित है। इसका मुकाबला करना सबसे चुनौतीपूर्ण  है जो उद्योगों कि कमर तोड देगा। 
    कहा गया है कि अन्यथा की स्थिति में रोजगार देने वाले ही खुद बडी संख्या मे बेरोजगार हो जाएंगे। वह स्थिति अत्यंत गंभीर होगी।